मॉनसून की त्रासदी: हिमाचल में बारिश, भूस्खलन और जीवन का संघर्ष

साल की हरियाली भरी सुबहें जब हार्दिक उम्मीद और ठंडी ताज़गी लिए आती हैं, तब अचानक मॉनसून की तेज़ हवा हिमाचल प्रदेश को एक नई जंग में उतार देती है। इस बार बारिश ने जैसे पूरे प्रदेश को अपने तेज पंजों में जकड़ लिया है—भूस्खलन, सड़कें बंद, बिजली-पानी टूटे, और ज़िंदगी की रोज़मर्रा की लय में ऐसी ठोकरें जो किसी को संभलने का मौका नहीं देती।

332 सड़कें बंद, दो राष्ट्रीय राजमार्गों की दास्तान

बारिश की लगातार थमने वाली बूंदें कई क्षेत्रों में विनाश लेकर आईं। राज्य के महामारी जैसे हालात में मंगलवार शाम तक दो नेशनल हाईवे समेत कुल 332 सड़कें बाधित रहीं । शायद आपको यह संख्या एक ठंडे तथ्य की तरह लगे, लेकिन हर एक सड़क उस गांव, उस बस्ती से जुड़े परिवारों की उम्मीद है, जिन पर अब आवाजाही की राहें बंद हैं।

मंडी में सबसे ज़्यादा बंद सड़कें, कुल्लू के हाल भी ख़ास नहीं

प्रदेश में सबसे ज़्यादा यातायात अवरुद्ध मंडी जिले में हुआ—जहां 192 सड़कें बंद रहीं। कुल्लू में भी कोई राहत नहीं थी, वहां 73 सड़कें प्रभावित हुईं । यह मानवीय जीवन की ऐसी तस्वीर है जहां हर एक बाधित मार्ग किसी किसान के मंडी जाने के रास्ते को रोकता है, किसी बिछड़े बेटे की माँ तक पहुंच को मुश्किल बनाता है।

MANDI,HIMACHAL PRRADESH

बस पर पत्थर, दो यात्री घायल

चंबा जिले की पहाड़ियों ने फिर याद दिलाया कि बारिश का मतलब केवल पूजा की उम्मीद नहीं, बल्कि इंसान की नाज़ुकता भी होती है। एक निजी बस, जो चांजू से भंजराड़ू जा रही थी, अचानक पहाड़ी से गिरते पत्थर से टकराई, जिससे बस की छत टूट गई—और दो यात्री मामूली रूप से घायल हो गए । अभिनेता की तरह शायद इस दर्दनाक नजारे ने यात्रियों को भीतर से हिला दिया होगा, लेकिन चालक की सूझबूझ ने जान बचाई, और यह ज़िंदगी का एक नाज़ुक पैमाना बन गया।

शिमला में टूटे पेड़, भवनों की टूट-फूट और डर का आलम

राजधानी शिमला में तड़के बढ़ती बारिश ने विकासनगर की सड़क को मोड़ कर रख दिया। कई पेड़ गिर गए—कुछ दरवाजों और गाड़ियों पर टूटकर गिर पड़े, कुछ ढंगड़ी में छत तोड़कर आ गिरें, जिससे वहां की गाड़ियाँ चकनाचूर हो गईं । सुनो, यह सिर्फ़ अख़बारी रिपोर्ट नहीं—हर टूटे पेड़ में किसी की ज़िंदगी अटक-सी गई थी, और भय का कण हर दरवाज़े में घुस गया था।

चंबा–पठानकोट हाईवे की धंसी कहानी

दुनहरा क्षेत्र में चंबा-पठानकोट हाईवे धंस गया। टिपर चालक ने आख़िरी क्षण पर गाड़ी किनारे रोककर बड़ा हादसा टाल दिया । समझिए, उस सड़क से गुजरने वाले हरवाहक की सांस थम गई होगी—भीड़, यात्री, सामान, सपने—सब कुछ एक रहस्यमयी धक्का था।

रातभर संघर्ष, और सुबह की उम्मीद: जोगिनी मोड़ का हिम्मत भरा दृश्य

मंडी-कुल्लू मार्ग पर जोगिनी मोड़ पर रात लगभग 9 बजे एक भूस्खलन हुआ, जिसने चंडीगढ़–मनाली नेशनल हाईवे को रोक दिया। लेकिन पुलिस और PWD की टीम ने रातभर जुझारू संघर्ष किया—ताक़त लगाकर मलबा हटाया और सुबह तक मार्ग बहाल कर दिया । इसे देखिए—अँधेरे में उम्मीद जगाने वाला एक लम्हा, इंसानियत का जीवंत चित्र।

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आगे क्या मौसम का इंतज़ार है?

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 12 से 14 अगस्त तक ऑरेंज अलर्ट और बाद में 15 से 18 अगस्त तक येलो अलर्ट जारी किया है । यह आंकड़े नहीं, चेतावनी है—मॉन्सून की राख में हमेशा नई आग लगी रहती है।

229 मौतें, 323 घायल, और मिलीभगत का नुकसान

20 जून से 11 अगस्त तक इस मॉनसून के दौरान हिमाचल ने 229 जीवन गंवाए, 323 लोग घायल हुए, और 36 लापता । साथ ही, 2388 घर, गोशाला, दुकानें, 1611 पालतू पशु, और 2007 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ । यह आँकड़े ज़मीनी हक़ीक़त दर्ज करते हैं—कितनी तेज़ ठोकरें पड़ी हैं, कितनी निर्ममता से प्राकृतिक आपदा ने ज़िंदगी को झकझोरा है।

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